अर्थ : वह मनोभाव जो स्वभावतः अथवा संकोच, दोष आदि के कारण दूसरों के सामने सिर उठाने या बोलने नहीं देता है।
उदाहरण :
लज्जा के मारे वह कुछ न बोल सकी।
पर्यायवाची : अवि, आकुंठन, आकुण्ठन, आर, कानि, खिली, ग़ैरत, गैरत, झेंप, झेप, नटांतिका, नटान्तिका, पत, मंदाक्ष, मन्दाक्ष, मुरव्वत, मुरौवत, लज्जा, लाज, लिहाज, लिहाज़, व्रीड़न, व्रीड़ा, व्रीडा, शरम, शरमिंदगी, शर्म, शर्मिंदगी, संकोच, सकुचाहट, हया, हिजाब, ह्री, ह्रीका