अर्थ : तत्वज्ञों द्वारा नियत या निश्चित कोई मत या सिद्धांत अथवा किसी प्रकार की विचारधारा या कार्य प्रणाली।
उदाहरण :
वाद का प्रयोग संज्ञाओं के अन्त में प्रत्यय के रूप में होता है - जैसे छायावाद, अनात्मवाद आदि।
पर्यायवाची : वाद