अर्थ : व्यवसाय की वह प्रथा जिसमें व्यवसायी दूसरों का माल अपने यहाँ थोक बिक्री के लिये रखता और उनकी बिक्री होने पर कुछ नियत धन अपने लिये लेता है।
उदाहरण :
मोहन आढ़त करके अच्छा पैसा कमा लेता है।
अर्थ : माल की बिक्री कराने के एवज में मिलनेवाला धन।
उदाहरण :
एक आढ़तिया व्यापारी से आढ़त माँग रहा था।